साथ में जीने मरने की पहले कसमें खाकर वो कसमें दिल से भुलाना ठीक नहीं होता।
6.
कब सुबहो हुई कब शाम मुझे पता ही न चला तेरी यादो को मैंने इस दिल से भुलाना चाहा.
7.
शीर सोण्या परदेस चले दूजा यार बनाना नहीं याद हमारी जब भी आए ख़त लिखण शर्माना नहीं चिट्ठी लिखीं, डाक विच डालीं दूजे हत्थ फ़डाना नहीं जीन्दे रहे ते फिर मिलांगे मरे तो दिल से भुलाना नहीं।
8.
मीठे प्रिय परदेस चले दूजा मीत बनाना नहीं याद हमारी जब भी आए ख़त लिखते शर्माना नहीं चिट्ठी लिखें, डाक में डालें दूजे हाथ थमाना नहीं जीते रहे तो फ़िर मिलेंगे मरे तो दिल से भुलाना नहीं।
9.
मीठे प्रिय परदेस चले दूजा मीत बनाना नहीं याद हमारी जब भी आए ख़त लिखते शर्माना नहीं चिट्ठी लिखें, डाक में डालें गैर के हाथ थमाना नहीं जीते रहे तो फिर मिलेंगे मरे तो दिल से भुलाना नहीं।
10.
जिसे नजरों नें कभी मान लिया अपना खुदा उसे फिर दिल से भुलाना तो है आसान नहीं शोख आँखों को जो देखा तो थरथराये लव शर-ए-नजरों से बचाना तो है आसान नहीं करके रोशन चिराग घर में न इतरा “आशु”